हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "नहजुल बलाग़ा" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامیرالمومنین علیه السلام
اَشَدُّ الذُّنُوْبِ مَا اسْتَهَانَ بِهٖ صَاحِبُهٗ.
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
सबसे भारी गुनाह वह है कि जिस गुनाह को अंजाम दिया जाए अंजाम देने वाला उसको हल्का समझें
बिहारूल अनवार हिक्मत नं. 348